सनातन हिन्दू धर्म पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | attitude status hindu #hindu power


 श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रुत्वा चैव अनुवर्त्यताम्।

आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषां न समाचरेत् ॥
धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये।
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः।
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥
मरा हुआ धर्म मारने वाले का नाश, और रक्षित धर्म रक्षक की रक्षा करता है। इसलिए धर्म का हनन कभी न करना, इस डर से कि मारा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले।
स जीवति गुणा यस्य धर्मो यस्य जीवति ।
गुणधर्मविहीनो यो निष्फलं तस्य जीवितम् ॥

जो गुणवान है, धार्मिक है वही जीते हैं (या “जीये” कहे जाते हैं) । जो गुण और धर्म से रहित है उसका जीवन निष्फल है ।

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